Smart Meter से छुटकारा कैसे पाएं: JanAakrosh

Date of Shoot                   :               26 July 2023

Venue of Shoot                :               ANANDAM RESTAURANT (https://bit.ly/3YchCv8)

Publication Date              :               30 July 2023

YouTube Link                   :               https://youtu.be/B3ypY5n7mI4

Facebook Link                 :               https://bit.ly/3rQ4hNc

CAST

Before the Camera         :               Host- PRINCE KUMAR, Answerer- MD DILSHAD ALAM

Behind the Camera        :               Camera Support: A1 Photography, Dehri On Sone

(https://bit.ly/3OBPejc)

Online Support: VIVEK ONLINE SOLUTION (https://bit.ly/3YgkPtZ)

  • क्या बिहार को स्मार्ट मीटर की ज़रूरत

देखिये, तकनीकी को अपनाना और उसे सीखना कोई बुरा नहीं है। हम सभी को तकनीकी को अपनाना चाहिए। लेकिन लोकतन्त्र के अंदर तकनीकी को अपनाने की ज़बरदस्ती नहीं होनी चाहिए थी। बिहार की शिक्षा अभी भी भारत में सबसे कम है। India Today में छपे एक लेख के अनुसार बिहार में शिक्षा का प्रतिशत 61.8% है जो की पूरे भारत में सबसे कम है। यहाँ तक की यह भारत की कुल शिक्षा प्रतिशत से भी कम। अब ऐसे में लोगों पर स्मार्ट मीटर थोपना सही नहीं है क्योंकि जो लोग खुद से रिचार्ज नहीं करवा पाते उन्हें दूकानदारों से रिचार्ज करवाना पड़ता है। मान लीजिये उन्हें 200 का रिचार्ज करवाना है तो उन्हें 220 रुपया देना पड़ता है जिससे उनकी आर्थिक क्षति होती है।

  • आर्थिक क्षति की बात आपने की, तो ये सुनने में आया है की बिहार में बिजली दर सबसे ज्यादा है। क्या ये बात सही है?

नहीं, ये बात बिलकुल गलत है। लेकिन तकनीकी तौर पर कहें तो सही भी है, जिसके बारे में आगे बताऊंगा। 2020 में छपे Economist Times के एक लेख के अनुसार भारत में सबसे ज्यादा बिजली दरें महाराष्ट्र की हैं, उसके बाद Madhya Pradesh का नंबर आता है। बिहार पश्चिम बंगाल के बाद चौथा राज्य है जहां बिजली दर सबसे ज्यादा है। लेकिन तकनीकी तौर कहें तो बिहार में बिजली सबसे महंगी है मतलब लोगों की कुल कमाई के अनुपात के हिसाब से सबसे महंगी। मैं समझाता हूँ कैसे, बिहार एक गरीब राज्य है। यहाँ लोगों की प्रति व्यक्ति आय जिसे इंग्लिश में Per Capita Income कहते हैं पूरे भारत में सबसे कम है। Study IQ के एक article के अनुसार 2020-2021 में जारी एक डाटा में महाराष्ट्र की Rs.16093/- मध्य प्रदेश की Rs. 8741/- और बंगाल की Rs. 10106/- है। वहीं बिहार के प्रत्येक व्यक्ति की एक महीने की average कमाई मात्र Rs. 3634/- है। इस हिसाब से बिहार में बिजली दर को प्रति व्यक्ति कमाई के अनुपात में सबसे अधिक माना जा सकता है। एक बात और जो मैं जोड़ना चाहूँगा मार्च-2021 में CEA यानि Central Electricity Authority के द्वारा जारी एक Data के अनुसार आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पुडुचेरी, पंजाब, तेलंगाना, तमिलनाडू जैसे राज्य अपने यहाँ के किसानों से भूमि सिचाई में इस्तेमाल होने वाली बिजली के लिए एक भी रुपया नहीं लेते। जबकि बिहार Electricity बोर्ड Rs. 800 प्रति हॉर्स पावर के हिसाब से प्रत्येक महीने किसानों से लेती है। जो की बिहार जैसे गरीब राज्य के किसानों के साथ अन्याय है।

  • अब हम topic पर दोबारा लौटते है। मेरा तीसरा सवाल है की क्या SMART METER से छुटकारा पाया जा सकता है? अगर हाँ तो क्या ये आसान होगा?

जी बिलकुल, SMART Meter से छुटकारा पाया जा सकता है। लेकिन ये आसान होगा ये नहीं कहा जा सकता। लेकिन लोगों का साथ मिले तो ये बिलकुल मुमकिन है। लोगों में SMART METER को लेकर एक प्रकार का गुस्सा और रोष है। मुझसे कई लोग मिलते हैं और पूछते हैं की कैसे इस SMART METER से छुटकारा पाया जाये? तो मैं उन्हें बताता हूँ की आप सरकार को और विभाग को लिखें। उन्हें बताएं की आपको SMART METER नहीं चाहिए। सरकार के पास SMART METER के खिलाफ जितने ज्यादा पत्र जायेंगे उन्हें उतना ज्यादा पता चलता जायेगा की लोग उनकी उस योजना से ना-खुश हैं। और कोई भी सत्ताधारी पार्टी नहीं चाहेगी की उन्हें लोगों का रोष झेलना पड़े।

  • चौथा और सबसे मुख्य सवाल, SMART METER से छुटकारा कैसे पायें?

ऊपर मैंने आपको already बताया की लोग पत्र के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा अपना रोष व्यक्त कर इससे छुटकारा पा सकते हैं। हालांकि इससे SMART METER हट ही जायेगा इसकी Guarantee नहीं है लेकिन कुछ ना करने से अच्छा है कुछ करना। बड़े बुजुर्ग कहते हैं “कर्म करो, फल की चिंता मत करो।“ तो लोग अपना दायित्व तो पूरा करें, कम से कम आगे चलके लोगों को इस बात का पछतावा तो नहीं रहेगा की काश कुछ कर लेते। और कुछ ना भी हो तो कम से कम लोगों को ये तो पता चल ही जायेगा की जिन्हें उन्होने सत्ता में बैठाया है वो उनके हित की कितनी सोचते हैं!

जो लोग चिट्ठी नहीं भेज सकते या जो सोचते हैं लिखें क्या तो उनके लिए जनाक्रोश की टीम ने एक e-mail लिखा है जिसमें हमने लिखा है की “लोकतन्त्र में जनता सर्वोच्च होती है, और एक अच्छा लोकतन्त्र और सरकार वही है जो लोगों की इच्छा और अनिच्छा का ध्यान रखे।“ मुझे विश्वास है की उस e-mail का लिंक आप इस वीडियो के Description में डाल देंगे साथ ही उन्हें ये भी बता देंगे की उस email को कैसे भेजें।

वैसे हमारे दर्शक जैसे ही उस लिंक पर Click करेंगे उनके सामने Gmail या जो भी email सर्विस वो use करते होगे वो खुल जाएगा और पहले से लिखा हुआ एक ईमेल खुल जायेगा, उस ईमेल के अंत में आपको अपना नाम, पता और चाहें तो अपना Mobile नंबर भी डालना हैं और बस आपको Send Email पर Click करना है। एक ही Click में उनकी आवाज़ बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड के CMD साहब जो की अभी श्री Sanjeev Hans जी हैं के पास पहुँच जायेगी। साथ ही उसकी एक-एक Copy बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी, बिहार के उपभोक्ता संरक्षण विभाग, और बिहार उपभोक्ता मंच के पास चली जायेगी। साथ ही हमारी मुहीम में कितने लोग सम्मिलित हुए ये जानने के लिए उसकी एक कॉपी हमारे पास भी आ जाएगी ताकि हमें पता चल सके की SMART METER से छुटकारा पाने और अपना हक़ पाने के लिए कितने लोग आगे आए हैं।

  • मुझे पता है की सरकार और विभाग को चिट्ठी, email, इत्यादि लिखने से लोग कतराते हैं, या यूं कहें की लोग डरते हैं। तो क्या लोगों पर ईमेल भेजने मात्र या चिट्ठी लिखने भर से कानूनी या प्रशासनिक कार्यवाही हो सकती है?

प्रिंस जी मुझे तो हंसी और गुस्सा दोनों आता है ऐसे लोगों पर जो अपने अधिकारों के लिए लिखते नहीं हैं बल्कि डरते हैं। और तो और पूरा जीवन सरकारों और विभागों को कोसते हुए बिता देते हैं। अरे! जबतक आप सरकार और विभाग को अपनी परेशानियों से अवगत नहीं करवायेंगे तब तक सरकार और विभाग योजना कैसे बनायेगी? उन्हें पता तो चलना चाहिए की आपको क्या चाहिये और क्या नहीं! रही बात कानूनी और प्रशासनिक कार्यवाही की तो जब तक आपके आंदोलन में हिंसा नहीं है या आपकी लेखनी में संयम और मर्यादा है कोई भी कानून और प्रशासन आप पर दबिश नहीं कर सकता। अहिंसक आंदोलन का अधिकार हमें हमारे संविधान ने दिया है। उसका उपयोग तो करें। याद रखिए, भारत आंदोलन के बल पर आजाद हुआ है, यूं हाथ पर हाथ धर घरों में बैठकर अंग्रेजों को कोसने से नहीं। लोगों को तो खुश होना चाहिये की उनके पास संचार के कई आसान माध्यम उपलब्ध हैं। बस उन्हें कुछ लिखना है और भेज देना है।

  • क्या कुछ होगा email भेजने मात्र से?

मैं कहता हूँ लोग 99 प्रतिशत मान कर चलें की कुछ नहीं होगा, लेकिन 1 प्रतिशत उन्हें मानना पड़ेगा की होगा। अब उस एक प्रतिशत के लिए भी वो कुछ ना करें, तो ये तो बेमानी होगी। शायद उनके इस 1 प्रतिशत से खुश होकर या डर कर सरकार और विभाग 100 प्रतिशत उनकी बात सुन ले!

  • दिलशाद जी, देखने और सुनने में यह भी आया है की जो लोग SMART METER नहीं लगवा रहे या इसका विरोध कर रहे हैं ज़बरदस्ती उनकी बिजली काट दी जा रही है। क्या ये सही किया जा रहा है?

हाँ बिलकुल ये सही बात है। ऐसा हो रहा है। मुझे यहीं डेहरी का एक प्रसंग याद आ रहा है, एक व्यक्ति ने अपने दुकान में स्मार्ट मीटर लगवाने का विरोध कर रहे थे, विभाग के लोगों ने पोल से उनकी बिजली काट दी और एक लेटर जो की Executive Engineer लेवल के अधिकारी द्वारा जारी किया गया था थमा दिया। उसमें लिखा हुआ है की यदि कोई विभाग को ज़बरदस्ती करने से रोकता है तो विभाग उसको विधुत सेवा से वंचित कर सकता है। मुझे पता नहीं की उन Executive साहब को पता भी है की नहीं, कि माननीय दिल्ली एवं पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने दो अलग-अलग Judgments में ग्राहक पर किसी भी प्रकार का बकाया ना रहने पर भी उपभोक्ता का बिजली Connection काटने को Article 21 यानि की मौलिक अधिकार का हनन बताया है। पीड़ित व्यक्ति इसके खिलाफ सीधे उच्चतम न्यायालय में भी वाद दायर कर सकता है, लेकिन सूचना के अभाव में लोग System के आगे नतमस्तक हो जाते हैं।

  • जैसा की हमने देखा है की आये दिन पेपर और न्यूज़ वेबसाइट पर आता रहता है की अन्य सभी राज्य भी बिहार के SMART METER स्कीम की सराहना कर रहे हैं और जल्द ही अपने-अपने राज्यों में इसे लागू करने की बात कर रहे हैं। तो हम कैसे इसे गलत कह सकते हैं?

आपके इस सवाल का जवाब बस एक लाइन में है, “चोर-चोर मौसेरे भाई।“ वो तो एक दूसरे की तारीफ करेंगे ही। सबका ध्यान जनता को लूटने पर केन्द्रित है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *